चित्रा सिंह ८० के दौर की बेहतरीन गजल गायिका रही हैं मिर्जा गालिब सीरियल की गजलें हो या फिर 1986 में आये एल्बम echoes की "सफर में धूप तो होगी चल सको तो चलो '' और खुदा हमको ऐसी खुदाई ना दे जैसी सदाबहार गजलों को अपनी आवाज से नवाजा और जगजीत जी के साथ शानदार एल्बम पेश किये ..पर जगजीत जी और चित्रा जी के बेटे विवेक के इस दुनिया को अलविदा कहने के बाद 1991 के बाद उन्होंने गाना छोड़ दिया और आज तक वो आवाज़ खामोश ही है हाल ही में वाराणसी में एक धार्मिक संगीत सभा में उनकी गाने की बात जरुर हो रही है तो शायद यह आवाज फिर एक बार सुनाई दे लेकिन जो दौर गुजर जाता है वो उस रंग में कभी वापिस नहीं आता ..और उनको चाहने वालों के लिए उनका वो दौर ही काफी है जिसमें उन्होंने एक से बढ़कर एक शानदार गजलों को अपनी आवाज दी ..मिर्जा गालिब में गाई उनकी गजलों के बाद कोई गजल मुझे सबसे पहले पसंद आती है तो वो है ''तुम को हम दिल में बसा लेंगे तुम आओ तो सही ''इस गजल के अल्फाज है मुमताज मिर्जा के और संगीत दिया है जगजीत जी ने ही यह उन्ही के एल्बम echoes का हिस्सा है जो की लाइव कॉन्सर्ट में गाई उनकी गजलों से सजा एक एल्बम है शब्दों के हिसाब से शायद इस एल्बम की कोई दूसरी गजल इस पर भारी पड़े लेकिन गर आवाज में मिठास की बात की जाये तो यह बहुत ही प्यारी गजल है
राह तारीख है और दूर है मंजिल लेकिन
तुमको हम दिल में बसा लेंगे,तुम आओ तो सही
सारी दुनिया से छुपा लेंगे, तुम आओ तो सही
एक वादा करो अब हमसे ना बिछड़ोगे कभी
नाज़ हम सारे उठा लेंगे, तुम आओ तो सही
बेवफा भी हो, सितमगर भी, जफा पेशा भी
हम ख़ुदा तुमको बना लेंगे, तुम आओ तो सही
सारी दुनिया से छुपा लेंगे, तुम आओ तो सही
एक वादा करो अब हमसे ना बिछड़ोगे कभी
नाज़ हम सारे उठा लेंगे, तुम आओ तो सही
बेवफा भी हो, सितमगर भी, जफा पेशा भी
हम ख़ुदा तुमको बना लेंगे, तुम आओ तो सही
दर्द की शमा जला लेंगे, तुम आओ तो सही
चित्रा जी की गाई हर ग़ज़ल लाजवाब है ... बेहतरीन है ...
ReplyDeleteबिल्कुल दिगम्बर जी जब भी गजल के सुनहरे दौर की बात होगी तो एक नाम चित्रा जी का भी जरुर होगा
Deleteबहुत सुन्दर शब्द चयन
ReplyDeleteजानकर खुशी हुई धन्यवाद ..
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