रातें चाहे चांदनी हो या बारिश वाली मुझे तो दोनों ही पसंद है आपका क्या ख्याल है ? और ये रातें इतनी प्यारी क्यूँ लगती है उसकी तो वजह भी है जिन लोगों ने अपने बचपन के दिन नाना -नानी या दादा -दादी के पास बिताये हैं वो तो चांदनी रातें भूलने से रहे खासकर जो गाँव में रहे और खुले आसमान के निचे तारों को गिनकर या कहानियाँ सुनकर जिनकी रातें कटी हों गर्मी लगने पे नीले आसमान के तले और अगले ही पल बारिश आते ही अन्दर की तरफ दौड़ना अगर ऐसा आपका बचपन गुजरा है तो आप से खुशनसीब इस दुनिया में कोई नहीं क्यूँ की अब तो ऐसा कम ही देखने को मिलता है वैसे ये गाना एक प्यार करने वाली लड़की अपने पिया के लिए गा रही है जो की उसके पास नहीं है और उनके आने के इंतजार में है इस इंतजार में जो दिल की हालत है वो ये अल्फाज बयाँ करते है चलिए तो इसी प्यारे नगमे की बात करते है जो चांदनी रातों में उसकी खूबसूरती को दोगुना कर देता है पता नहीं क्यूँ मेरे साथ ही ऐसा होता है या आपके साथ भी की मुझे हमेशा रीमेक गाना ही पहले मिलता है और वो कुछ तो इतने दिल पे छा जाते हैं की बाद में उसका ओरिजिनल फीका लगने लग जाता है में बात कर रहा हूँ सनाह के गाये चांदनी रातें की जिसको की नूरजंहा ने आवाज दी थी और उसका सिंगल भी रिलीज़ हुआ था जिसको शमशा कँवल ने अपनी आवाज दी इन दोनों को ही मैंने बाद में सुना और सनाह को सबसे पहले और वही असर कर गया इतनी मीठी आवाज और ये अल्फाज .............
कुछ लफ़्ज़ों से कह पाऊँ कुछ आँखों से जता पाऊँ ख्याल बस इतना सा है मोहब्बत से ज़िन्दगी जी पाऊँ
Wednesday, 31 May 2017
Friday, 12 May 2017
सख्त राहो में भी आसान सफर लगता है ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है .......जसविंदर सिंह
माँ की तारीफ में काफी कुछ लिखा गया है किसीने माँ को खुदा का दर्जा दिया है तो किसी ने खुदा से ऊपर माना है और जहाँ तक सवाल है माँ का शायद कुछ रिश्तों को कभी आप बयाँ नहीं कर पायेंगे वो हमेशा महसूस होते है और वही एहसास शब्दों में ढालने का काम मुन्नवर राणा हो चाहे राहत इन्दोरी दोनों ने कमाल किया है ''किसी को घर मिला हिस्से में किसी के दुकां आई ,में घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से माँ आई '' यह खुशी तो सब कुछ मिलने से भी ज्यादा बयाँ कर दी मुन्नवर राणा ने ऐसी ही एक गजल राहत इन्दोरी साहब की भी है जितनी खूबसूरती इसके हर शब्द ने ले रखी है उनको दोगुना महसूस किया जा सकता है जसविंदर सिंह की आवाज में जो की जाने माने म्यूजिक कंपोजर कुलदीप जी के बेटे हैं जिन्होंने तुमको देखा तो ख्याल आया जैसी गजलों को कंपोज़ किया जसविंदर सिंह की की आवाज चोट पे मरहम की तरह असर करती है उन्होंने संगीत की शिक्षा शुरू में अपने पिता से और बाद में डॉ . सुशीला और डॉ . अजय से ली है 'दिलकश ' एल्बम ''यूँ तो क्या क्या नजर नहीं आता '' और ''मेरे दोनों हाथ निकले काम के उनकी मेरी पसंदीदा गजलें है राहत इन्दोरी की गजल ''शख्त राहों में भी आसन सफ़र लगता है '' जिस अंदाज में उन्होंने गाई है वो वाकई कमाल है
Monday, 1 May 2017
लम्हा -लम्हा सी गुजरती जिन्दगी ...
जिन्दगी लम्हा -लम्हा सी गुजर जाती है
ना किसी को खबर है ना किसी को ख्याल
इस शाम की तरहा ही हर शाम ढल जाती है
चलती है जब यादों की हवा तो कभी आँख नम
कभी बेवजह की हंसी दे जाती है
चलते है जो कदम तेज -तेज
वक़्त की रफ़्तार उनको मंद कर जाती है
सोचता हूँ गर की जिन्दगी तू क्या है
एक जज्बात से क्यूँ आँख बरस जाती है
शुरू होती है कितने ख्वाबों ख्यालो से
और एक उम्मीद पे गुजर जाती है
ना किसी को खबर है ना किसी को ख्याल
इस शाम की तरहा ही हर शाम ढल जाती है
चलती है जब यादों की हवा तो कभी आँख नम
कभी बेवजह की हंसी दे जाती है
चलते है जो कदम तेज -तेज
वक़्त की रफ़्तार उनको मंद कर जाती है
सोचता हूँ गर की जिन्दगी तू क्या है
एक जज्बात से क्यूँ आँख बरस जाती है
शुरू होती है कितने ख्वाबों ख्यालो से
और एक उम्मीद पे गुजर जाती है
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