पक्की सडकें हो गयी है जब से पुरानी गलियों से अब कोई गुज़रता नहीं
वक़्त भी आखिर वक़्त है न जाने क्यू यूँ तन्हा गुज़रता नहीं
दो साये अब भी उस पुरानी हवेली में दिखाई देते है
कभी मिलकर बतियाया करते है
तो कभी दीवारों से गुफ़्तगू हुआ करती है उनकी
ग़ज़लों को जब भी सुना जाता है मन किसी और ही जंहा में चला जाता है
जैसे हल्की हल्की बारिश की बूंदे बरश रही हो और दिल को सुकून दे रही हो
ऐसी ही आवाज़ के मालिक है तौसीफ अख्तर जिन्होंने ग़ज़लों से शुरुआत की
फिर कई गाने बॉलीवुड के लिए भी गाये और
"चाँद तारे फूल सबनम तुमसे अच्छा कोन है " जैसे गाने काफी पसंद भी किये गये।
लेकिन उसके बाद वो वापस ग़ज़लों की दुनिया में लोट आये और उन्ही से
वो सुकून की बारिश करते है एक ऐसी ही ग़ज़ल है जो मुझे बेहद पसंद है
••फूल खिलतें है मुस्कुराने से
मुस्कुरा दो किसी बहाने से
कुछ नहीं तो दुआ सलाम सही
प्यार बढ़ता है आने जाने से
मुस्कुरा दो किसी बहाने से
फूल खिलते है मुस्कुराने से
चेहरा हर राज़ खोल देता है
इश्क़ छुपता नहीं छुपाने से
मुस्कुरा दो किसी बहाने से
तुम से हम कह नहीं सके वर्ना
चाहते है तुम्हे ज़माने से
मुस्कुरा दो किसी बहाने से