Friday 12 May 2017

सख्त राहो में भी आसान सफर लगता है ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है .......जसविंदर सिंह

माँ की तारीफ में काफी कुछ लिखा गया है किसीने  माँ को खुदा का दर्जा दिया है तो किसी ने खुदा से ऊपर माना है और जहाँ  तक सवाल है  माँ का शायद कुछ रिश्तों को कभी आप बयाँ  नहीं कर पायेंगे वो हमेशा महसूस होते है और वही एहसास शब्दों में ढालने का काम मुन्नवर राणा हो चाहे राहत इन्दोरी  दोनों ने कमाल किया है ''किसी को घर मिला हिस्से में किसी के दुकां आई ,में घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से माँ आई '' यह खुशी तो सब कुछ मिलने से भी ज्यादा बयाँ  कर दी मुन्नवर राणा  ने ऐसी ही एक गजल राहत इन्दोरी साहब की भी है जितनी खूबसूरती इसके हर शब्द ने ले रखी है उनको दोगुना महसूस किया जा सकता है जसविंदर सिंह की आवाज में जो की जाने माने म्यूजिक  कंपोजर कुलदीप जी के बेटे हैं जिन्होंने  तुमको देखा तो ख्याल आया जैसी गजलों को कंपोज़ किया जसविंदर सिंह की की आवाज चोट पे मरहम की तरह असर करती है उन्होंने संगीत की शिक्षा शुरू में अपने पिता से और बाद में डॉ . सुशीला और डॉ . अजय  से  ली है 'दिलकश ' एल्बम  ''यूँ  तो क्या क्या नजर नहीं आता '' और ''मेरे दोनों हाथ निकले काम के उनकी मेरी पसंदीदा गजलें है  राहत इन्दोरी की गजल ''शख्त राहों में भी आसन सफ़र  लगता है '' जिस अंदाज में उन्होंने गाई है वो वाकई कमाल है

                 सख्त  राहों में भी आसान सफ़र लगता है ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है
                                         मैंने जिस वक़्त तेरे दर पे किया है सजदा
                                         आसमानों से भी ऊँचा मेरा सर लगता है
                                           सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है
                                          एक वीराना जहाँ उम्र गुजारी मैंने
                                        तेरी तस्वीर लगादी  है तो घर लगता है
                                        सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है
                                     ये मेरी माँ की दुआओं  का असर लगता है

14 comments:

  1. बहुत ही कमाल की ग़ज़ल और उतनी ही लाजवाब अदायगी ... हर शेर नगीना ... माँ तुझे सलाम ...

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  2. शुक्रिया दिगम्बर जी जानकर खुशी हुई आपको गजल पसंद आई

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  3. बहुत सुन्दर गजल....

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  4. बेहद अच्छी ग़ज़ल है,,,, सालों से इस ग़ज़ल को गुनगुनाता हूँ।

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  5. बहुत सुंदर

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  6. Jasvinder Singh did full justice to Rahat Indori's ghazal. It is a real tribute to mother, his soft and deep voice stirs the emotions deeply.Rahat Sahab and Jasvinder are complimentary to each other and have turned this ghazal into a milestone of Indian music.

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  7. When I feel stressed, I like to listen this gazal and feel relax after listening this Gazal.

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  8. Thanks
    For share

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