जिन्दगी लम्हा -लम्हा सी गुजर जाती है
ना किसी को खबर है ना किसी को ख्याल
इस शाम की तरहा ही हर शाम ढल जाती है
चलती है जब यादों की हवा तो कभी आँख नम
कभी बेवजह की हंसी दे जाती है
चलते है जो कदम तेज -तेज
वक़्त की रफ़्तार उनको मंद कर जाती है
सोचता हूँ गर की जिन्दगी तू क्या है
एक जज्बात से क्यूँ आँख बरस जाती है
शुरू होती है कितने ख्वाबों ख्यालो से
और एक उम्मीद पे गुजर जाती है
ना किसी को खबर ना किसी को ख्याल
जिन्दगी लम्हा -लम्हा सी गुजर जाती है
ना किसी को खबर है ना किसी को ख्याल
इस शाम की तरहा ही हर शाम ढल जाती है
चलती है जब यादों की हवा तो कभी आँख नम
कभी बेवजह की हंसी दे जाती है
चलते है जो कदम तेज -तेज
वक़्त की रफ़्तार उनको मंद कर जाती है
सोचता हूँ गर की जिन्दगी तू क्या है
एक जज्बात से क्यूँ आँख बरस जाती है
शुरू होती है कितने ख्वाबों ख्यालो से
और एक उम्मीद पे गुजर जाती है
ना किसी को खबर ना किसी को ख्याल
जिन्दगी लम्हा -लम्हा सी गुजर जाती है
वाह ... रूहानी शब्द जो जिंदगी का फलसफा कह रहे हैं ... कमाल की नज़्म सूफियाना करती ...
ReplyDeleteशुक्रिया दिगम्बर जी
Delete