Sunday 26 June 2016

गुलज़ार

रास्तो में चलते चलते हंसी बांटता है
गुलज़ार वही तो है जो दिल में उतरकर
ख़ुशी बांटता है
आवाज़ से निकलती है सुकून की छाँव
वक़्त जैसे रुक सा जाता है वो अल्फाज़ो
          से नाउम्मीदी। में उम्मीद बांटता है
जब भी ज़िन्दगी की धूप मैं थक जाते हो तुम
    उन अल्फाज़ो को उड़ेलो खुद पे
वो मौत के सायो में ज़िन्दगी बांटता है
रास्तो में चलते चलते हंसी बांटता है
गुलज़ार वही तो है जो दिल में उतरकर ख़ुशी बांटता है
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पहली पोस्ट गुलज़ार साहब के लिये

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