टेक वर्ल्ड जैसे अपने पाँव अब सब जगह पसारने लगा है वैसे -वैसे किताबों की जगह स्टोरेज में ज्यादा और अलमारी में कम होती जा रही है | फिर भी साहित्य के चाहने वाले अब भी किताबों के पन्ने पलटना ज्यादा पसंद करते है और साहित्य को जब एक मंच मिले तो साहित्य प्रेमियों के लिए तो यह एक खजाने की तरह है ऐसा ही साहित्य का मेला हर बार जयपुर में लगता है हर एक कोने से आये लेखक , शायर और साहित्य प्रेमियों का हुजूम उमड़ पड़ता है इस दौरान और परम्पारगत तरीके से होता मेहमानों का स्वागत
और फिर होता है सवालों का सिलसिला हर एक साहित्य प्रेमी को अपने पसंदीदा लेखक से मिलने का इंतज़ार हमेशा रहता है और उनको करीब से जानने का सवाल जवाब करने का मौका इससे बेहतर कंहा मिल सकता है |ये मेरे लिए पहला अनुभव रहा किसी साहित्य मेले में शामिल होने का जाने माने लेखको को सुनना उनसे सीखना एक शानदार अनुभव रहता ही है |यूँ तो JLF में काफी मशहूर लेखको ने सिरकत की जिनमे भारतीय लेखको में अमिश तिरपाठी ,जावेद अख्तर साहब ,और कई नामी लेखक रहे
पर मुझे सबसे ज्यादा इंतज़ार रहा तो गुलज़ार साहब का आखिर उनको लाइव सुनकर एक अलग ही एहसास होता है |
तुम लोगो के कद क्यों इतने छोटे रह जाते है "..."कह देते हो कहने को तुम लेकिन अपने बड़ो की इज्जत करते नहीं तुम इसलिए तुम लोगो के कद इतने छोटे रह जाते है " ग्रीन पोयम्स की इन रचानो के जरिये गुलज़ार साहब ने सोचने और तालियाँ बजाने पे मजबूर कर दिया | यह खुद आप यंहा विडियो में देख सकते है
यह साहित्य के मेले के ५ दिन हर किसी के लिए ऐसा पल ले ही आते है जो आप कभी नहीं भुला पाते ..आने वाले साल २०१७ में फिर jan. 19 se 23 फिर JLF का आयोजन हो रहा है और मुझे इसका बेसब्री से इंतज़ार है ...अगर आप भी साहित्य में रूचि रखते है है तो यह शानदार मौका है ....और इसी बहाने जयपुर दर्शन का आईडिया भी बुरा नहीं ....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteकाश कि समय होता
आपको पोस्ट पसंद आई कविता जी उसके लिए शुक्रिया हाँ यह समय के खेल ही अजीब है फिर भी कभी फुर्सत के दिनों में मौका मिल जाए तो बात बन जाती है ...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख
ReplyDeleteआपको लेख पसंद आया सावन कुमार जी उसके लिए शुक्रिया
Deleteपसंदीदा साहित्यकारों से मिलना सौभाग्य की बात है।
ReplyDeleteबहुत खूब।
जी बिल्कुल सही कहा सुधा जी यह वाकई ना भूलने वाला पल होता है ..पसंदगी के लिए धन्यवाद
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