बारिश के मौसम में ग़ज़ल सुनना यानी ख़ुशी दोगुनी और दो बेहतरीन गायको को एक साथ सोनू निगम और तलत अज़ीज़
दोनों की जुगलबंदी इस ग़ज़ल में वाकई बहुत उम्दा है
तलत अज़ीज़ को साल भर पहले सुना था ।ग़ज़ल थी "अब क्या ग़ज़ल सुनाऊ तुझे देखने के बाद "
तब पता नहीं था ।की ग़ज़ल गायी किसने है
"फिर छिड़ी रात बात फुलों की
रात है या बारात फूलों की
फूल के हार,फूल के गजरे
शाम फूलों की,रात फूलों की
आप का साथ,साथ फूलों का
आप की बात ,बात फूलों की
फूल खिलते रहेँगे दुनिया में
रोज़ निकलेगी बात फूलों की
नज़रें मिलती है जाम मिलते है
मिल रही है हयात फूलों की
ये महकती हुई ग़ज़ल मखदूम
जैसे सेहरा में रात फूलों की
उम्मीद है हर सुनने वाले को यह एक खुसनुमा सा एहसास देगी।
दोनों की जुगलबंदी इस ग़ज़ल में वाकई बहुत उम्दा है
तलत अज़ीज़ को साल भर पहले सुना था ।ग़ज़ल थी "अब क्या ग़ज़ल सुनाऊ तुझे देखने के बाद "
तब पता नहीं था ।की ग़ज़ल गायी किसने है
"फिर छिड़ी रात बात फुलों की
रात है या बारात फूलों की
फूल के हार,फूल के गजरे
शाम फूलों की,रात फूलों की
आप का साथ,साथ फूलों का
आप की बात ,बात फूलों की
फूल खिलते रहेँगे दुनिया में
रोज़ निकलेगी बात फूलों की
नज़रें मिलती है जाम मिलते है
मिल रही है हयात फूलों की
ये महकती हुई ग़ज़ल मखदूम
जैसे सेहरा में रात फूलों की
उम्मीद है हर सुनने वाले को यह एक खुसनुमा सा एहसास देगी।
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